शिक्षा को किसी भी समाज की रीढ़ कहा जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में जब कोई राज्य अपने युवाओं को शिक्षित करने की दिशा में कोई प्रभावशाली योजना लाता है, तो वह सिर्फ विद्यार्थियों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का भविष्य सँवारने का काम करता है। बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई "स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना" (Student Credit Card Yojana) भी इसी सोच की एक उपज है। इसका मुख्य उद्देश्य है राज्य के उन विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता देना जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं।
बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना क्या है?
यह एक ऐसी सरकारी योजना है जिसके अंतर्गत 10वीं के बाद 12वीं पास करने वाले विद्यार्थी उच्च शिक्षा (जैसे स्नातक, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, डिप्लोमा आदि) प्राप्त करने के लिए सरकार से अधिकतम 4 लाख रुपये तक का शैक्षणिक ऋण (शिक्षा लोन) प्राप्त कर सकते हैं। यह ऋण बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड (BSFC) के माध्यम से प्रदान किया जाता है। योजना की सबसे विशेष बात यह है कि यह लोन बिना किसी बैंक गारंटी के भी मिल सकता है, बशर्ते विद्यार्थी सभी शर्तों को पूरा करता हो।
अब सवाल उठता है – क्या यह पैसा आपसी किया जा सकता है?
क्यों नहीं किया जा सकता आपसी? समझिए विस्तार से :
इस योजना की संरचना ही इस तरह की गई है कि पैसा सीधे छात्र के खाते में नहीं आता, बल्कि यह सीधे कॉलेज या यूनिवर्सिटी के खाते में ट्रांसफर होता है। यानी, छात्र के पास पैसे को इस्तेमाल करने या किसी और को ट्रांसफर करने का अधिकार ही नहीं रहता। इस योजना में मिलने वाला पैसा निम्नलिखित मदों में उपयोग किया जा सकता है:
- कॉलेज की ट्यूशन फीस
- पुस्तकें, स्टेशनरी, लैपटॉप, उपकरण आदि
- हॉस्टल का खर्च
- लाइब्रेरी फीस और लेबोरेटरी फीस
अगर फिर भी कोई छात्र आपसी करता है तो?
अगर कोई छात्र या उसके परिवार का सदस्य धोखाधड़ी करके इस योजना के पैसे को अन्य कामों में लगाता है या किसी और को ट्रांसफर करता है, तो सरकार के पास कड़ी कार्यवाही के अधिकार होते हैं। संभावित दंड:
- लोन तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा सकता है।
- पैसे की पूरी राशि ब्याज सहित तत्काल वापस करनी होगी।
- कानूनी कार्यवाही की जा सकती है (IPC के तहत)।
- छात्र को भविष्य में किसी भी सरकारी सहायता से वंचित किया जा सकता है।
- कॉलेज की संबद्धता रद्द हो सकती है (यदि वह संस्थान भी शामिल पाया जाए)।
पैसा कैसे मिलता है? – पूरी प्रक्रिया :
- ऑनलाइन आवेदन: विद्यार्थी योजना के पोर्टल पर आवेदन करता है। (https://www.7nishchay-yuvaupmission.bihar.gov.in/)
- वेरिफिकेशन: डॉक्युमेंट्स की जाँच और जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र (DRCC) में इंटरव्यू।
- कॉलेज वेरिफिकेशन: कॉलेज की मान्यता और कोर्स की पुष्टि।
- स्वीकृति: लोन स्वीकृत होते ही रकम कॉलेज के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।
- यह सारी प्रक्रिया डिजिटल और ट्रांसपेरेंट होती है, जिससे गड़बड़ी की संभावना नहीं के बराबर होती है।
- क्या पैसे को निकाल कर किसी अन्य काम में लगाना अपराध है?
पैसे को सही तरीके से उपयोग कैसे करें?
- केवल मान्यता प्राप्त कॉलेज में प्रवेश लें।
- पढ़ाई से जुड़ी सभी चीजों में खर्च को प्रमाणित बिल के साथ रखें।
- कोई भी लेन-देन नकद न करें, डिजिटल माध्यम से ही उपयोग करें।
- हर वर्ष कॉलेज से प्रमाण पत्र लें कि पैसा पढ़ाई में ही उपयोग हुआ है।
2025 में योजना से जुड़े नए बदलाव :
- डिजिटल ट्रैकिंग: एक नया मोबाइल ऐप लांच किया गया है जिससे छात्र अपने लोन की स्थिति और खर्चों को ट्रैक कर सकते हैं।
- EMI प्रक्रिया सरल: अब छात्रों को पढ़ाई पूरी होने के 1 साल बाद से EMI चुकानी होती है, वह भी न्यूनतम राशि से।
- कॉलेज की मान्यता की पुष्टि अब UGC/AICTE से लिंक्ड है।
- आवेदन की प्रक्रिया और तेज और सरल की गई है।
छात्रों की आम गलतफहमियाँ: पैसा तो लोन है, जैसे चाहें खर्च करें :
कई बार छात्रों के मन में यह भ्रम होता है कि जब यह पैसा "लोन" के रूप में दिया जा रहा है और उन्हें इसे चुकाना ही है, तो इसका उपयोग वे अपनी मर्जी से कर सकते हैं। यह सोच पूरी तरह से ग़लत है। यह एक Targeted Educational Loan है जो केवल शिक्षा के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।
यह लोन पारंपरिक बैंकों की तरह नहीं है जहाँ पैसा सीधे खाते में आता है। बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की प्रक्रिया में पैसे का मार्ग पहले से ही तय होता है – यानी पैसा सीधे कॉलेज के खाते में जाएगा और छात्र के पास उसकी मर्जी से इस्तेमाल करने की कोई गुंजाइश नहीं होती। इसलिए "मर्जी से खर्च" जैसी कोई अवधारणा यहाँ लागू नहीं होती।
कुछ वास्तविक उदाहरण – जब पैसा आपसी करने की कोशिश हुई :
- गया जिले के एक छात्र ने फर्जी तरीके से एक अनजान इंस्टिट्यूट में एडमिशन दिखाया और लोन स्वीकृत करवा लिया। बाद में उस कॉलेज की मान्यता खत्म पाई गई और छात्र पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ।
- पटना के एक छात्र ने ट्यूशन फीस का गलत इनवॉइस बनवा कर पैसे का कुछ हिस्सा नकद प्राप्त कर लिया। बाद में DRCC द्वारा ऑडिट में यह पकड़ में आया और छात्र का लोन तत्काल बंद कर दिया गया।
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि कोई भी धोखाधड़ी या "आपसी" प्रयास अंततः पकड़ में आता ही है और छात्र के करियर को खतरे में डाल सकता है।
अगर गलती हो जाए तो क्या करें? समाधान है :
- DRCC ऑफिस से संपर्क करें।
- पूरा विवरण और दस्तावेज़ प्रस्तुत करें।
- लिखित में स्पष्टीकरण दें और समाधान का अनुरोध करें।