आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है और सभी चाहते हैं कि उनका नेटवर्क अच्छा चले, कॉल ड्रॉप न हो और इंटरनेट तेज़ चले। इसके लिए मोबाइल कंपनियाँ अलग-अलग जगहों पर टावर लगाती हैं। अगर आपके पास अपनी छत है या खाली ज़मीन है, तो आप उस पर मोबाइल टावर लगवाकर बिना कोई पैसा लगाए हर महीने अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस लेख में हम आसान भाषा में जानेंगे कि कैसे आप अपनी छत पर फ्री में मोबाइल टावर लगवा सकते हैं और उससे कमाई कर सकते हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि मोबाइल टावर क्या होता है?
मोबाइल टावर एक लंबा लोहे का खंभा होता है जिस पर एंटीना और उपकरण लगे होते हैं। ये टावर मोबाइल फोन को नेटवर्क देने का काम करते हैं। जब हम किसी को कॉल करते हैं या इंटरनेट चलाते हैं, तो यह सारा काम मोबाइल टावर के ज़रिए होता है। यह टावर कंपनियाँ अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर लगाती हैं। इसके फायदे और नुकसान भी होता है.
आइये जानते हैं , टावर लगवाने के फायदे :-
अगर आप अपनी छत पर मोबाइल टावर लगवाते हैं तो इसके कई फायदे होते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हर महीने आपको किराया मिलता है। यह किराया 15,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक हो सकता है, जगह और कंपनी के हिसाब से। इसके अलावा कुछ कंपनियाँ बिजली का बिल भी देती हैं और आपको कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। साथ ही, आपके एरिया में नेटवर्क भी अच्छा हो जाता है।
अब जानते हैं , कि टावर लगवाना फ्री होता है या नहीं :-
हाँ, अगर आप सही तरीके से और सीधे कंपनी से संपर्क करते हैं, तो टावर लगवाना बिल्कुल फ्री होता है। कंपनियाँ खुद अपने खर्च पर टावर लगाती हैं, उपकरण लाती हैं और सब कुछ सेटअप करती हैं। आपको सिर्फ अपनी छत या ज़मीन देनी होती है और कुछ ज़रूरी कागज़ात देने होते हैं। कागजात की बात हम आगे करेंगे .
किन -किन कंपनियों से टावर लगवाया जा सकता है?
भारत में कई टेलीकॉम कंपनियाँ हैं जो टावर लगवाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कंपनियाँ हैं :
- जियो (Reliance Jio)
- एयरटेल (Airtel)
- वोडाफोन-आइडिया (Vi)
- बीएसएनएल (BSNL)
- इंडस टावर्स (Indus Towers)
- एटीसी इंडिया (ATC India)
इन कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर आप टावर लगाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर आपको आवेदन करना नहीं आता है तो कोई बात नहीं आप किसी जानकर व्यक्ति या ऑनलाइन सेंटर से करवा सकते हैं नहीं तो हम आपको आगे बतायेगें स्टेप -BY -स्टेप .
एक खाश बात ,टावर लगाने के लिए क्या-क्या ज़रूरी है?
देखिये सबसे पहले टावर लगाने के लिए आपकी छत या ज़मीन कम से कम 500 वर्ग फुट की होनी चाहिए। आपकी प्रॉपर्टी के दस्तावेज़ आपके नाम पर होने चाहिए। आपके इलाके में मोबाइल नेटवर्क की मांग होनी चाहिए। साथ ही बिजली की सुविधा और सुरक्षा का ध्यान भी ज़रूरी होता है। तभी आप अपने छत या जमीन पर टावर लगवा सकते हैं.
आप आवेदन कैसे करें? (Step-by-step Process) :
1. सबसे पहले अपनी छत या ज़मीन की पूरी जानकारी इकट्ठा करें – पता, फोटो, बिजली कनेक्शन आदि।
2. फिर उस कंपनी की वेबसाइट पर जाएँ जिसमें आप टावर लगवाना चाहते हैं।
3. वहाँ पर "Apply for Tower Installation" या इसी तरह का विकल्प होगा, उसे क्लिक करें।
4. अब आपको एक फॉर्म भरना होगा जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, प्रॉपर्टी की डिटेल्स देनी होंगी।
5. आपको आधार कार्ड, ज़मीन के कागज़, फोटो और बिजली बिल जैसे दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे।
6. फॉर्म सबमिट करने के बाद आपको एक रसीद मिलेगी जिसे संभाल कर रखें।
टावर लगवाने के साथ- साथ किन बातों का ध्यान में रखना चहिये आइये जानते हैं :
देखिये सबसे पहले अगर किसी व्यक्ति ने टावर लगवाया है तो उनसे संपर्क करें यदि नहीं तो जैसे जैसे बता रहें हैं उन्हें फॉलो करें , किसी भी ऐसे व्यक्ति से सावधान रहें जो आपसे पैसे माँगता हो और कहे कि वह कंपनी से है।
- केवल कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर ही आवेदन करें।
- सभी दस्तावेज़ अपने पास कॉपी में रखें।
- जब कंपनी की ओर से अनुबंध (agreement) आए तो उसे ध्यान से पढ़ें। अनदेखा न करें !
टावर के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ क्या -क्या होना चाहिये :-
आइये जानते हैं सबसे पहले आपके पास :
- आधार कार्ड या पैन कार्ड या दोनों
- बिजली बिल की कॉपी
- साइट की फोटो (जहाँ टावर लगाना है)
- पासपोर्ट साइज फोटो
- ज़मीन या मकान के मालिक होने का प्रमाण (जैसे -जमींन की रसीद )
एक बात और ध्यान रखना होगा : टावर के लिए सरकारी नियम क्या होता है :
सरकार ने मोबाइल नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए टावर लगाने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। अब ज़्यादातर राज्य सरकारें ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करती हैं और कुछ ही दिनों में मंज़ूरी भी मिल जाती है। लेकिन पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करना ज़रूरी होता है। अगर यह सब बातें आपको पता नहीं है तो आगे पढ़ें .
क्या टावर लगवाने वालों को फ्री में मिलेगी बिजली आखिर कैसे :
अगर आप अपने घर की छत या खेत में मोबाइल टावर लगवाते हैं, तो आपको कई फायदे मिल सकते हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि कंपनी आपको हर महीने किराया देने के साथ-साथ फ्री में बिजली भी दे सकती है। ऐसा तब होता है जब आप टावर लगवाने वक्त agreement पर लिखवा लेते हैं तब।
कई मोबाइल कंपनियाँ अब ऐसे टावर इंस्टॉल कर रही हैं जिनमें सोलर पैनल या जनरेटर सिस्टम लगा होता है। इसके जरिए बनने वाली अतिरिक्त बिजली को घर में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ कंपनियाँ सीधी बिजली कनेक्शन भी देती हैं और उसका बिल खुद भरती हैं। लेकिन जादेतर कंपनी जनरेटर ही लगवाती है।
अगर टावर से नुकसान हुआ तो भरपाई कौन करेगा ,यह बात भी पता होना चहिये :
अगर आपके घर या जमीन पर मोबाइल टावर लगा है और उससे कोई नुकसान हो जाता है, जैसे : छत में दरार, आग लगना, बिजली का झटका या सेहत से जुड़ी कोई समस्या, तो सबसे बड़ा सवाल ये होता है कि इसकी भरपाई कौन करेगा?
इसका जवाब है – मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनी। जब टावर लगाया जाता है, तो एक लीगल एग्रीमेंट (कॉन्ट्रैक्ट) होता है। इस एग्रीमेंट में साफ लिखा होता है कि अगर टावर से कोई नुकसान होता है, तो उसकी ज़िम्मेदारी कंपनी की होगी। अगर यह बात लिखी हो तब .
लेकिन ध्यान रहे ,ये तभी संभव है जब आपने टावर लगवाते समय सभी नियम-कायदे पूरे किए हों और कंपनी से ठीक से पेपर साइन कराए हों। बिना कागज के कोई दावा नहीं बनता। ऐसे में आप कुछ नहीं कर सकते है ! अगर नुकसान होता है, तो आप कंपनी से लिखित शिकायत करें और नुकसान का सबूत (फोटो, वीडियो) भी साथ दें। ज़रूरत पड़े तो लोकल प्रशासन या कोर्ट में भी शिकायत की जा सकती है। इसलिए टावर लगवाने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएँ और हर चीज़ का पेपरवर्क पक्का रखें। तभी आप अपने हक की पूरी सुरक्षा कर पाएँगे।
खाश बात -क्या टावर लगाने के बाद दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है या नहीं :
अगर आपने अपने घर या जमीन पर मोबाइल टावर लगवा लिया है और अब किसी वजह से दूसरी जगह शिफ्ट होना चाहते हैं, तो आपके मन में ये सवाल ज़रूर आएगा : क्या टावर को भी शिफ्ट किया जा सकता है इसका सीधा जवाब है : आसान नहीं है, लेकिन मुमकिन है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ ,क्योंकि मोबाइल टावर एक बार लगने के बाद वहां पर कई सालों तक रहता है। इसके लिए कंपनी आपके साथ एक लीगल एग्रीमेंट करती है, जो 10 से 20 साल तक का हो सकता है। अगर आप बीच में टावर हटवाना या शिफ्ट करवाना चाहते हैं, तो आपको कंपनी को लिखित में नोटिस देना होगा।
कंपनी खुद तय करती है कि टावर हटाना संभव है या नहीं। अगर नई जगह पर नेटवर्क कवरेज की जरूरत है और वहां की लोकेशन सही है, तो कंपनी शिफ्टिंग पर विचार कर सकती है। लेकिन इसमें समय, कागजी प्रक्रिया और कभी-कभी खर्च भी आ सकता है।
इसलिए टावर लगवाने से पहले अच्छी तरह सोच लें। अगर आपको शिफ्टिंग की संभावना है, तो एग्रीमेंट में शर्त जरूर जोड़ें कि जरूरत पड़ने पर टावर हटाया जा सके। नहीं तो काफी जादा कठनाई का सामना करना पड़ेगा .
मोबाइल टावर के लिए कितने वॉट बिजली होना ज़रूरी है : आसान भाषा में समझो साफ-साफ :
अब देखो भाई, जब मोबाइल टावर तुम्हारी छत पे खड़ा होता है ना, तो वो भी भूखा नहीं रहता उसको भी चाहिए बिजली, और वो भी रोज़ाना! तो सुनो ध्यान से मोबाइल टावर का टाइप और उसमें लगे उपकरण के हिसाब से बिजली की ज़रूरत बदलती रहती है। लेकिन आमतौर पर एक नॉर्मल टावर को चाहिए करीब 3,000 से 6,000 वॉट (3 से 6 किलोवॉट) बिजली तभी वह सही से काम क्र पाएगा .अगर टावर में ज्यादा एंटेना और मशीनरी लगी है, तो बिजली की भूख और बढ़ जाती है 10,000 वॉट तक भी जा सकती है! तो समझ लो टावर बिजली पीता है और खूब पीता है। इसलिए पहले से जान लो कितनी वॉट चाहिए, कौन देगा, और बिल कौन भरेगा.
यदि टावर का पैसा किसी कारण बस ना आए तो क्या करें ?
अगर आपके छत पर मोबाइल टावर लगा है और आपको समय पर पैसा नहीं मिल रहा है, तो सबसे पहले उस कंपनी के साथ किए गए एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें। एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार कंपनी को भुगतान करना अनिवार्य होता है। यदि फिर भी पैसा नहीं आता, तो संबंधित कंपनी को लिखित में नोटिस भेजें। उसके बाद उपभोक्ता फोरम या सिविल कोर्ट में शिकायत दर्ज करें। आप RTI या लोकल प्रशासन से भी मदद ले सकते हैं। हमेशा लिखित सबूत और रिकॉर्ड संभालकर रखें, ताकि कानूनी कार्रवाई में सहूलियत हो।
टावर जनरेटर की तेल की भरपाई कौन करता है? ये भी जरुरी है :
जब आपके छत या खेत में मोबाइल टावर लगाया जाता है, तो उसमें बिजली की जरूरत होती है। कई बार बिजली कटने पर टावर को चलाने के लिए जनरेटर लगाया जाता है, जिसमें डीज़ल डाला जाता है। अब सवाल ये उठता है कि उस जनरेटर में डीजल भरवाने का खर्चा कौन उठाता है?
इसका सीधा जवाब है : टावर लगाने वाली कंपनी। टावर की देखरेख, मरम्मत, और डीज़ल की भरपाई का पूरा ज़िम्मा टावर ऑपरेटर या मोबाइल कंपनी का होता है, ना कि जमीन मालिक का। टावर मालिक (जैसे Indus, Airtel, Reliance, आदि) अपने कर्मचारी या सर्विस एजेंसी को डीज़ल भरवाने और जनरेटर चलाने की जिम्मेदारी देते हैं। अगर कोई आपसे कहे कि तेल भरवाने में पैसे दो, तो साफ मना कर दीजिए और एग्रीमेंट की कॉपी दिखाइए। जमीन मालिक का काम सिर्फ जगह देना होता है, बाकी सारा खर्च और देखभाल कंपनी की होती है।
😆😆इसलिए निश्चिंत रहें, टावर से जुड़ी जिम्मेदारियों और खर्चों की जवाबदेही कंपनी की है, आपकी नहीं।
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